चीखी-चिल्लाई लेकिन बरात के शोर में दब गईं मासूम की आवाजें… बरात में आई आठ वर्ष की बच्ची से दुष्कर्म

# **बरात के शोर में दब गई मासूम की चीख: एक सामाजिक कलंक**

## **परिचय**
भारतीय समाज में शादियों का त्योहार खुशियों और उत्सव का प्रतीक माना जाता है। लेकिन कभी-कभी इसी उत्सव के पीछे कुछ ऐसी घटनाएं घटित हो जाती हैं, जो मानवता को शर्मसार कर देती हैं। हाल ही में एक बरात के दौरान आठ साल की एक मासूम बच्ची के साथ दुष्कर्म की घटना सामने आई है। यह घटना न सिर्फ़ हैवानियत की पराकाष्ठा है, बल्कि समाज के लिए एक गंभीर सवाल खड़ा करती है कि क्या हम वाकई सुरक्षित हैं?

## **घटना का विवरण**
– एक बरात के दौरान आठ वर्षीय बच्ची के साथ दरिंदगी की घटना घटी।
– बच्ची की चीखें बरात के शोर में दब गईं और किसी ने उसकी मदद नहीं की।
– घटना के बाद बच्ची के परिवार ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई।
– आरोपी को गिरफ्तार किया गया, लेकिन सवाल यह है कि क्या सजा मिलेगी?

## **बाल यौन शोषण: एक सामाजिक अभिशाप**
बच्चों के साथ यौन शोषण की घटनाएं दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही हैं। कुछ मुख्य कारण इस प्रकार हैं:

### **1. कानूनी प्रक्रिया में देरी**
– पीड़ित को न्याय दिलाने में सालों लग जाते हैं।
– गवाहों का डर और सबूतों की कमी के कारण आरोपी बच निकलते हैं।

### **2. सामाजिक कलंक**
– पीड़ित परिवार को समाज में शर्मिंदगी झेलनी पड़ती है।
– मामले को दबाने की कोशिश की जाती है ताकि “इज्जत” बच सके।

### **3. शिक्षा और जागरूकता की कमी**
– बच्चों को यौन शिक्षा नहीं दी जाती, जिससे वे गलत व्यवहार को पहचान नहीं पाते।
– माता-पिता भी इस विषय पर खुलकर बात नहीं करते।

## **कैसे बचाएं अपने बच्चों को?**
बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कुछ ज़रूरी कदम:

### **1. बच्चों के साथ खुलकर बात करें**
– उन्हें अच्छे-बुरे स्पर्श के बारे में समझाएं।
– अगर कोई उन्हें असहज करे, तो तुरंत बताने के लिए प्रोत्साहित करें।

### **2. सतर्क रहें**
– बच्चों के साथ किसी अजनबी या परिचित को अकेले न छोड़ें।
– उनकी गतिविधियों पर नज़र रखें।

### **3. कानूनी जागरूकता बढ़ाएं**
– POCSO (प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रन फ्रॉम सेक्सुअल ऑफेंसेस) एक्ट के बारे में जानकारी रखें।
– अगर कोई घटना होती है, तुरंत पुलिस में रिपोर्ट करें।

## **निष्कर्ष**
यह घटना सिर्फ़ एक अपराध नहीं, बल्कि हमारे समाज की विफलता है। हमें बच्चों की सुरक्षा के लिए सख्त कानून, तेज़ न्याय प्रणाली और सामाजिक जागरूकता की आवश्यकता है। अगर हम अभी नहीं जागे, तो ऐसी घटनाएं बढ़ती रहेंगी और न जाने कितनी मासूम आवाज़ें शोर में दबती रह जाएंगी।

### **क्या आपको यह लेख उपयोगी लगा?**
अगर आपको यह जानकारी महत्वपूर्ण लगी, तो इसे शेयर करें और जागरूकता फैलाने में हमारी मदद करें। बच्चों की सुरक्षा हम सभी की ज़िम्मेदारी है!

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