अश्लीलता फैलाने वाली हीरोइन को हम पसंद करके बढ़ावा देते हैं, अफ़सोस विदेश में भारत का परचम लहराने वाली हिन्दू पहलवान बेटी को फेमस नहीं करोगे

 


अश्लीलता फैलाने वाली हीरोइन को हम पसंद करके बढ़ावा देते हैं, अफ़सोस विदेश में भारत का परचम लहराने वाली हिन्दू पहलवान बेटी को फेमस नहीं करोगे

प्रस्तावना

  • आज के दौर में हम जिस ओर बढ़ रहे हैं, वहां समाज के असली नायकों को नजरअंदाज किया जा रहा है।
  • फिल्मी हीरोइनों की चमक-धमक और ग्लैमर के पीछे हम सब इस कदर दीवाने हो चुके हैं कि असली नायकों की मेहनत, संघर्ष और उपलब्धियों को अनदेखा कर देते हैं।
  • यह अफसोसजनक है कि जो बेटियां विदेशों में भारत का नाम रोशन कर रही हैं, उन्हें वह पहचान नहीं मिलती जिसकी वे हकदार हैं।

ग्लैमर और अश्लीलता का बाज़ार

  • सोशल मीडिया और फिल्म इंडस्ट्री में आजकल अश्लीलता को ग्लैमर का नाम दिया जा रहा है।
  • हीरोइनों के डांस, बोल्ड ड्रेस और निजी जीवन के किस्से सबसे ज्यादा वायरल होते हैं।
  • हम उन्हें फॉलो करते हैं, उनके कपड़ों की तारीफ करते हैं, और उनके निजी पलों को “ट्रेंडिंग” बनाते हैं।
  • दर्शकों की पसंद ने हीरोइनों को अश्लीलता दिखाने के लिए और अधिक प्रेरित किया है।

समाज की प्राथमिकताएं

  • हम एक ऐसे समाज में रहते हैं जहां किसी अभिनेत्री का ब्रेकअप न्यूज बनती है, लेकिन किसी खिलाड़ी की जीत को दो सेकंड की हेडलाइन भी नहीं मिलती।
  • फिल्मों के ट्रेलर, आइटम सॉन्ग और हॉट फोटोशूट को हम इतने ध्यान से देखते हैं कि असली संघर्ष करने वाले लोग पीछे छूट जाते हैं।
  • सवाल ये है कि आखिर समाज की प्राथमिकताएं इतनी विकृत क्यों हो गई हैं?

हिन्दू पहलवान बेटियों की अनदेखी

  • विदेशों में देश का नाम रोशन करने वाली बेटियों को मीडिया में वो कवरेज नहीं मिलती, जो किसी अभिनेत्री की ड्रेस या बर्थडे पार्टी को मिलती है।
  • ये बेटियां दिन-रात मेहनत करती हैं, खानपान में संयम रखती हैं, और परिवार से दूर रहकर देश के लिए मेडल जीतती हैं।
  • लेकिन उनके नाम शायद ही कोई जानता हो। उनका संघर्ष चर्चा का विषय नहीं बनता।

संघर्ष और समर्पण का मूल्य

  • पहलवान बेटियों का जीवन कठिनाइयों से भरा होता है – सुबह 4 बजे उठना, कड़ी ट्रेनिंग, चोटें और दर्द।
  • वे बिना किसी ग्लैमर के मैदान में उतरती हैं और भारत के लिए पदक जीतती हैं।
  • उनकी मेहनत को सराहने वाला समाज कहा चला गया है?

प्रसिद्धि की असमानता

  • किसी अभिनेत्री की एक इंस्टाग्राम रील को लाखों व्यूज़ मिलते हैं, लेकिन किसी महिला पहलवान की जीत पर कोई रील नहीं बनती।
  • ग्लैमर को ज्यादा तवज्जो देकर हम एक गलत संदेश दे रहे हैं – कि शोहरत सिर्फ दिखावे से मिलती है, मेहनत से नहीं।

मीडिया की भूमिका

  • मीडिया को भी इस असमानता के लिए जिम्मेदार ठहराया जा सकता है।
  • न्यूज़ चैनल्स, वेबसाइट्स और सोशल मीडिया पेज हीरोइनों की हर एक गतिविधि को “ब्रेकिंग” बना देते हैं।
  • वहीं देश के लिए इतिहास रचने वाली बेटियों की खबरें आखिरी पन्नों पर होती हैं।

समाज को बदलने की ज़रूरत

  • समाज को यह समझना होगा कि असली प्रेरणा ग्लैमर से नहीं, संघर्ष से मिलती है।
  • हमें अपनी प्राथमिकताएं बदलनी होंगी – जो बेटियां भारत के झंडे को ऊंचा करती हैं, उन्हें हमारी सराहना और प्रसिद्धि दोनों मिलनी चाहिए।

खुद से सवाल करें

  • क्या आपने आखिरी बार किसी महिला खिलाड़ी को सोशल मीडिया पर फॉलो किया?
  • क्या आपने कभी किसी पहलवान की जीत पर पोस्ट या स्टोरी शेयर की?
  • क्या आप सिर्फ दिखावे की दुनिया को ही सराहते हैं?

पहलवान बेटियों की प्रेरणादायक कहानियां

  • कई बार ये बेटियां गांवों से निकलकर वैश्विक मंच तक पहुंचती हैं – जहां ना सही ट्रेनिंग मिलती है, ना पोषण।
  • परिवार के विरोध, आर्थिक तंगी और सामाजिक रुकावटों के बावजूद ये बेटियां हार नहीं मानतीं।
  • उनकी कहानियां न केवल प्रेरणा देती हैं, बल्कि समाज को आइना भी दिखाती हैं।

कुछ सच्चाईयां

  • कई महिला पहलवानों को अपने खेल के लिए खुद पैसे जोड़ने पड़ते हैं।
  • स्पॉन्सर ढूंढना मुश्किल होता है क्योंकि ब्रांड्स ग्लैमर को चुनते हैं, संघर्ष को नहीं।
  • सरकार की नीतियों में भी अक्सर हीरोइनों और मॉडल्स को इवेंट्स का चेहरा बनाया जाता है, खिलाड़ियों को नहीं।

नारी का सशक्त रूप

  • असली सशक्तिकरण वही है जब एक महिला अपने बलबूते पर देश का नाम रोशन करे।
  • नारी का असली सौंदर्य उसके आत्मविश्वास, मेहनत और समर्पण में होता है – ना कि उसकी त्वचा की चमक या कपड़ों में।

बदलाव की दिशा में कदम

  • हमें स्कूलों, कॉलेजों और घरों में उन बेटियों की कहानियां सुनानी होंगी जो वाकई प्रेरणादायक हैं।
  • मीडिया, ब्रांड्स और सोशल मीडिया इंफ्लुएंसर्स को भी जिम्मेदारी से काम लेना होगा।
  • हमारी लाइक, शेयर और फॉलो करने की आदतें तय करती हैं कि कौन फेमस होगा और कौन नहीं।

 

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